हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, २००८ से नियमित जारी है। प्रवेशांक का लोकार्पण हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह ने किया। उस अवसर पर नामवर सिंह ने उम्मीद जताई थी कि 'पाखी' अपनी ही उड़ान भरेगी और यही हो रहा है।