सावन कुमार

भले घर की औरत

वह स्त्री बेहद घबराई हुई प्रतीत हो रही है, और बेहद परेशान भी, रह-रहकर चौंक भी जाती है, खासकर जब परिचित-सा चेहरा लिये कोई अजनबी उसपर अपनी नजरें टिकाकर घूरने लगता या आवारा हाव-भाव लिये कोई युवक ट्रेन में घुसते ही उसके आसपास वाली सीट पर बैठने का प्रयास करता। जब भी ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकती, वह चौकस भरी निगाहों से किसी को ढूँढ़ने का प्रयास करती। गेट तक जाती और किसी को न पाकर, या कु....

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