अपूर्व जोशी

 #सिलबट्टा और स्त्री-विमर्श-3 

स्त्री को लेकर भारतीय समाज में अनादिकाल से ही भारी विरोधाभास देखने को मिलता है। एक तरफ हमारे वेद-पुराण उसे शक्ति के रूप में पूजते नजर आते हैं तो दूसरी तरफ उसकी तुलना ढोल, गंवार और पशु से करते दिखलाई पड़ते हैं। वैदिक काल में स्त्रियों को पुरुषों समान ही अधिकार होने की बात कही जाती है तो इसी काल में मनुस्मृति का भी उदय होता है जो स्त्रियों को माहवारी के समय ‘अपवित्र’ मान....

Subscribe Now

पूछताछ करें