मलय जैन

कोयले के धूल-बगूलों में उभरी एक मूर्त कथा

कोई भी रचना चाहे वह कहानी हो या उपन्यास, अपने देश काल और क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व करती है। उपन्यास, विशेष रूप से आंचलिक उपन्यास उस अंचल विशेष का एक पूरा कालखंड पाठक के सामने जीवित कर देता है। चाहे भाषा की स्थानीयता हो, अंचल विशेष की संस्कृति, रस्मो रिवाज, आदर्श और बदमाशियां ही क्यों न हों, समग्र रूप से पाठक को टाइम मशीन की तरह उस अंचल में ले जाते हैं। लक्खा सिंह एक ऐसा ....

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