ममता जयंत

स्त्री दृष्टि के विमर्श का आख्यान

एक कलमकार द्वारा लिखी गई यात्र की किताब किसी कलाकृति से कम नहीं है। जिसे पढ़ने-समझने को उतनी ही गहनता की जरूरत होती है जितनी गंभीरता से वह लिखी गई है। कुछ किताबें पाते ही पढ़ ली जाती हैं तो कुछ ठहरकर पढ़ने की मांग करती हैं। प्रत्यक्षा का उपन्यास ‘पारा पारा’ एक ऐसी ही कृति है। जैसे-जैसे कथानक अनावृत बढ़ता जाता है वैसे ही पाठक के भीतर उत्सुकता जगाता चलता है। उपन्यास में लेख....

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