कश्मीर घाटी में पूरी तरह एंटी इंडिया सेंटीमेट्स हावी हो चुके हैं। या तो कश्मीर छोड़ दो या फि़र जबरन ही सही उसे जोड़ दो ही एक मात्र विकल्प रह गया था। चूंकि छोड़ना न तो संभव था न ही मुनासिब इसलिए सरकार के इस निर्णय में मेरी सहमति है। खेद इस बात का है कि इस निर्णय के बाद राष्ट्रवाद की वही सुनामी में देश का बुद्धिजीवी कहे समझे जाने वाला वर्ग बड़ा बहता नजर आया। यह मेरी सम....