हमारी बात को नादां यूं अक्सर काट देता है।
के जैसे खुद किनारों को समंदर काट देता है।।
किसी की आंख के पानी को तुम कमजोर मत समझो।
अगर ये जिद् पे आ जाए तो पत्थर काट देता है।।
कहानी जुल्म की उड़कर न पहुंचे आसमानों तक।
मेरा सयाद इस डर से मेरे पर काट देता हैं।।
नहीं कटता किसी सुरत तुम्हारी आंख का जादू।
मगर पत्थर के सीने को गुले तर क....