यह कतई नहीं कह सकता कि मैं प्रेम भारद्वाज को बहुत क़रीब से जानता था। लेकिन यह ज़रूर जानता हूं कि उनको बहुत सारे दूसरे लोगों से पहले से जानता था। वे शायद पटना से दिल्ली पत्रकारिता की संभावना टटोलते हुए 'संडे पोस्ट' से जुड़े थे और उन्हीं दिनों कभी उनसे पहली मुलाकात हुई थी। 'पाखी' का प्रकाशन बाद में शुरू हुआ और प्रेम भारद्वाज की वह कीर्ति-लता भी बाद में लहलहाई जिसने उन्ह....