अनामिका

विश्व कविता में प्रेम

यह तो हम समझते ही हैं कि उत्पादन के साधन जब भी बदले, आदमी की भाषा में उसकी छब-ढब भी। इसी तरह स्त्री-शिक्षा और उसके क्रमिक सम्बलन के साथ-साथ विश्वन-कविता में प्रेम की अभिव्यक्ति सूक्ष्मतर, गहनतर और आँकी-बाँकी भी होती चली गयी। सामन्ती समाजों में प्रेम की अभिव्यक्ति अलग थी। वह रूपकीर्ति-स्पंदित पूर्वराग से होता-हवाता आठ प्रकार के विवाहों/ छप्पन प्रकार के कोर्टली रोमांसों म....

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