संगीता सोलंकी

आधुनिकीकरण का यथार्थ और ‘गौरी का गुस्सा‘

‘हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार स्वयं प्रकाश हमारे बीच नहीं रहे।’ 07 दिसम्बर 2019 को यह शोक संदेश जब मैंने फेसबुक पर पढ़ा तो इसकी सत्यता पर संदेह हुआ और सोचा शायद यह वाक्य उनके उपन्यास ‘उत्तर जीवन कथा’ से उद्धरत किया गया हो; पर काश! यह सच होता। स्वयं प्रकाश जी को मैंने पहली बार हिंदू काॅलेज, दिल्ली में देखा, पर वहाँ उनसे बात नहीं हो पायी। दूसरी बार मैंने उन्हें द....

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