मोबाइल बजे जा रहा था। उधर से कोई उठा नहीं रहा था, क्या पता साइलेंट पर हो। यह बास का पी ए भी खुद को उसका बाप समझता है। बास ने ही चढ़ा रखा है उसे । हर एक की चुगली ऐसे खाता है, जैसे सब कुछ उसके सामने- सामने घटा हो। और बास है कि इसकी बात पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेता है। अब उठा नहीं रहा और बाद में कहेगा कि उसके पास कोई फोन नहीं आया । ऐसा कभी हो सकता है कि बास के लिए फोन आए और वह न उठाए। ज....