मैं कलकत्ता के बाहरी हिस्से में स्थित एक मध्य आकार के बंगले नुमा घर की ख़ुशनुमा बैठक में खुशदिली से बैठा हूँ। बैठक अपने वर्तमान मालिक के पूर्वजों के बीत चुके ज़मींदारी वाले समृद्ध दिनों का आभास दे रहा है। इसमें अत्यन्त सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाई जाने वाली वस्तुओं को रखा गया है। एक तख़्त में बाघ की खाल भूसे में भर कर रखी है। और भी खुशनुमा चीज़ें हैं , जो बैठक को एक ग....