कृष्ण बिहारी

अपराध की दुनिया हर जगह बसती है 

अपराध कहाँ नहीं है मगर ...
मैं ऐसे समाज में 38 वर्ष रहा हूँ जहां या तो अपराध को पाप समझा गया या फिर उसकी सज़ा इतनी कठोर कि अपराध करने से पहले उस प्रवृत्ति का ही दम घुटने लगे जो अपराध के बारे में सोचना शुरू करे।
5 वर्ष अगस्त 1979 से मई 84 का समय मैंने दक्षिण सिक्किम के नामची जिले और गैंगटोक के ताशी नामग्याल एकेडमी में काम करते हुए गुज़ारा। उसी दौरान आल इंडिया रेडियो पर अनाउंसर भी र....

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