- श्रेणियाँ
- संपादकीय
- कहानी
- कविता
- गजल
- लेख
- लघुकथा/व्यंग्य
- नाटक
- रचनाकार
- पाखी परिचय
- पिछले अंक
- संपर्क करें
लड़के के कमरे से फिर आवाज़ आ रही है। आवाज़ कुछ आड़ी – तिरछी है। इसे किसी चीज को मारने से ज्यादा या टूटने से कम की आवाज़ कह सकते हैं। वैसे मेरे लिए यह आवाज़ नई थी; हर दो – चार घंटे पर दीवारों पर एक चोट सुनाई पड़ती। मुझे ये एक कमरे की दीवारों से आती आवाज़ का फंडा समझ में नहीं आता। पिछले कुछ महीनों से मैं यहाँ रहती हूँ। मेरे आस-पास एक एकांत का अनुभव होता था। अब इन दिनों दीवारों पर पड़ती आव....