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भोर होते ही सौदागर ने पेड़ से बंधा अपना घोड़ा खोला, उसकी पीठ थपथपायी, दाना-पानी दिया एवं देखते ही देखते पेड़ के पास रखे इत्र के सातों कुप्पे उसकी पीठ पर लाद दिये। कुछ और सामान जैसे दो पानी के बड़े-बड़े मसक, दो-तीन थैलियाँ जिसमें वो रोजमर्रा का सामान रखता था आदि को भी उसने घोड़े की पीठे के पीछे व्यवस्थित किया एवं पुनः घोड़ा हिनहिनाया तो उसके ओठों पर प्रसन्नता की रेखा फैल गई। यह अ....