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अंक: एक
नाट्य मंच पर अंधेरा
सूत्रधार: (नेपथ्य से) प्रिय प्रेक्षकाें! कुछ ही देर में आज आपके सामने प्रस्तुत होने जा रहा है रंगपुरुष! जी हां, रंगपुरुष! ---यह रंगपुरुष, जो अपने नाट्यमंच पर एक के बाद एक दृश्य देखता है, दरअसल आपका प्रतिरूप है--- जी हां! ---आपका! आप सबका!--- इस रंगपुरुष के नाट्यमंच पर जो किरदार दृष्टिगत होते हैं, वे हकीकतन आप ही हैं। ---....