- श्रेणियाँ
- संपादकीय
- कहानी
- कविता
- गजल
- लेख
- लघुकथा/व्यंग्य
- नाटक
- रचनाकार
- पाखी परिचय
- पिछले अंक
- संपर्क करें
आओ हम अज़ब देश , गज़ब देश की पेट्रोयोटिक धुन पर
गाएं नहीं , आज़ादी - आज़ादी खेलें
देश –देश खेलें !
ध्यान रहे , कुछ कायदे-कानून हैं खेल के जो
सोची –समझी नीति के तहत दर्ज़ है ‘खेल-संविधान’ में
आचार-संहिताओं की फ़ेहरिस्त भी सुप्रचारित है |
बहुत सारे अधिकारों से लैस है ‘रेफरी’
जो झंडों , बैनरों , नारों से पटे मैदान ....