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इस झंडे के नीचे
कुछ लोग बुदबुदा रहे हैं
कुछ लोग पान चबा रहे हैं
और
रँग रहे हैं एक-दुसरे के मन- मस्तिष्क को
कुछ लोग बहीखातों की जुगत में
तिकड़म भीड़ा रहे हैं
कुछ व्यापारी चूहे
सियासत जमा रहे हैं
आने वाली बाढ़ और बीमारी के लिए
चीजों का रुख़ गोदामों की ओर मोड़कर
दीमकें धरती पर चारों ओर फैली हैं&nb....