अधखुली आंखों के
काजल से
झांकती हुई
किरणें
प्रतिबिम्बित
करती हैं
रूप तुम्हारा
अठखेलियां
करता है
मन का हिरण
यादों के मधुबन में
तेरी यादों के
साथ भटकना भी
अच्छा है
सपनों में खोना भी
अच्छा तेरी यादें
जैसे मरुस्थल में
झरना कोई
मैं चाहती हूं
हृदय के द्वार
खुल जाएं
कुछ शब्द
जो रुके हैं
मोतियों से
बि....