आलोचक भले ही लघुकथाओं को तवज्जो न देते हों, भले ही वो गद्य में कहानियों का युग होने की बात करते हों लेकिन फिर भी अनेक
हर कवि के पास जीवन को देखने का अलहदा नजरिया होता है और यह अलग नजरिया ही किसी कवि को विशिष्ट बनाता है।
विपिन चौधरी
संदीप तोमर
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।