लेखक दो तरह के होते हैं। पहले वे जिनकी भाषा में चमक होती है, जिनका शिल्प गहरा प्रभाव छोड़ता है और विचार आकर्षित करते
"बू-ए-गुल, नाला-ए-बुलबुल, दूद-ए-चराग़-ए-महफ़िल, जो तेरी बज़्म से निकला, वो परीशाँ निकला.."
भूमिका द्विवेदी अश्क
मदन कश्यप
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।