स्वामी अग्निवेश नहीं रहे। यह खबर सुनकर सहसा विश्वास नहीं होता। उनका हंसमुख चेहरा और हमेशा आशा और ऊर्जा से भरा व्यक
पूरा पढ़ेमुझे याद है कि कथाकार बृज मोहन (1951-2020) की एक कहानी काफी पहले हंस, अक्टूबर 2014 के अंक में ‘चुनावी चक्रम’ पढ़ी थी। इस कहानी क
पूरा पढ़ेपिछले पंद्रह-बीस वर्षों में जिन लोगों को राहत भाई का सबसे ज़्यादा साथ मिला, मेरा सौभाग्य है कि मैं उनमें से एक रहा। म
पूरा पढ़ेपोस्टर बनाने के साथ ही शेर कहके अपनी गजलों को गुनगुनाया करते थे। शायरी का शौक उनको कम उम्र से था मगर उस समय तक शायरी
पूरा पढ़ेउसी मुशायरे के बाद तीखे नैन-नक्श वाला सावंला नौजवान शायर ‘राहत कैसरी’ ने अहेद कर लिया कि अब तरन्नुम में कभी नहीं पढ़
पूरा पढ़े‘‘अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे/फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।’’ कुछ ऐसे ही हालात हैं, शायर राहत इंदौ
पूरा पढ़ेमार्च का महीना, सम्पूर्ण प्रकृति में नई चेतना का संचार हो रहा है। शीत ऋतु के प्रहार से आहत दिल्लीवासी के दिलों में प
पूरा पढ़ेकुछ कलाकार अपनी किसी ख़ास अदा के कारण लोकप्रिय हो जाते हैं। उसके बाद वे अपनी ही उस अदा का कैरिकेचर बन जाते हैं। फ़िल
पूरा पढ़ेफिल्म निर्देशक की कार्कश आवाज गूंजती है- ये किस बेवकूफ को उठा लाए हो- बाहर करो इसे---। जिस एक्स्ट्रा कलाकार को बेवकूफ
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