मेरे अभिभावक, मित्र पत्रकार शेष नारायण सिंह चले गए। जबकि उनके लिए प्लाज्मा का इंतजाम भी हो गया था। हम आश्वस्त थे कि
गीताश्री
पूरा पढ़े
पूरा देखें
हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।