दिल से दिल की बात

  • मेरा सौभाग्य है कि असग़र मेरे दोस्त हैं

    असग़र साहब के करीब आने का मौका मुझे तब मिला, जब उनके लिखे धारावाहिक ‘बूंद-बूंद’ का हिस्सा बना। यह 1985 की बात है। उसी सा

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