चार वर्षों में सौ से अधिक यात्रा-वृत्तान्त पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद मैं यह कहने की स्थिति में खुद को पाता हूं
मुकुल रंजन झा
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।