जन्म शताब्दी वर्ष पर विशेष/पुनर्पाठ

  • रेणु की कहानियों में राजनीतिक चित्रण

    रेणु हिन्दी के एक ऐसे कथाकार थे, जो लेखन के साथ-साथ सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अपने जीवन के प्रारम्

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  • रसप्रिया: एक अन्तर्पाठ

    रेणु की कहानी ‘रसप्रिया’ 1955 में लिखी गयी और धर्मवीर भारती के संपादन में इलाहाबाद से निकलने वाली पत्रिका 'निकष' में प

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  •      फणीश्वरनाथ रेणु के रिपोर्ताजों में निहित जनपक्षधरता 

    रिपोर्ताज पत्रकारिता की एक विशिष्ट विधा है। जब कोई पत्रकार या लेखक किसी घटना से   तथ्य  और  सूचना के स्तर पर ही नहीं

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  • परती परिकथा का  लोकयथार्थ 

    रेणु की   प्रमुख ख्याति  उनके   पहले  उपन्यास – मैला   आंचल से  मिली । यह  उपन्यास  1954  में  प्रकाशित  हुआ । इस   उपन्यास

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  • “परिकथा नहीं थी राजनीति”

    फनीश्वर नाथ रेणु एक ऐसे लेखक थे जिसे तत्कालीन सामाजिक और राजनीतिक समस्याएं कभी विस्मृत होती ही नहीं थीं । अन्याय क

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  • भूख और मौत का रिपोर्ताज

    “पिछले कई वर्षों से सैकड़ों शब्द, नाम, देश, समस्याएं और समाचार मेरे लिये बेमानी हो रहे हैं, होते जा रहे हैं, उनमें डेमो

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