इग्नू में नियुक्ति के बाद मुक्त शिक्षा और दूर शिक्षा प्रणाली की समझ कुछ-कुछ साफ होने लगी थी। यह बात वहां बारबार कही
जवरीमल्ल पारख
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।