जैसा कि हम सभी जानते हैं, लेखक कहानियों के प्लॉट समाज से ही उठाता है। तकरीबन 14-15 साल पहले ‘गृहशोभा’ में व्यक्तिगत सम
पूरा पढ़ेचंदर की पार्टी चुनाव जीत गयी है। अब तो उसकी और उसके कुटुम्बजनों की किस्मत बदल जाएगी। चंदर यानी चंद्र प्रकाश पार्टी
पूरा पढ़ेबचपन याद आते ही मन्नों दी का याद आना बड़ा लाजमी-सा हो जाता है ऐसा क्यों? वो न तो मेरी सगी दीदी थीं न रिश्तेदार फिर भी व
पूरा पढ़ेबरसात के बाद नदी जब अपना पानी समेटती है तो कुछ पानी किनारे के गड्डों में छोड़ती चली जाती है। मुख्य धारा से पीछे छूट
पूरा पढ़ेदीये गिन तो। मेरे माथे पर दही-चावल व सिंदूर कातिलक लगा रही मां मुस्कुराती है। वह अपनी पुरानी एक चमकीली साड़ी पहने ह
पूरा पढ़ेशिकायत वा पस लेने के लिए पचास लाख रुपयों की डिमांड की थी डॉक्टर से महिला ने। महिला ने शिकायत की थी कि डॉक्टर ने उसके
पूरा पढ़ेपूरे गांव में हलचल थी। प्रधान जी ने छोटी काशी भेजने के लिए ट्रैक्टर-ट्राली का इंतजाम करा दिया, साथ मेें खाने-पीने का
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