हम सुबह-सुबह टूरिस्ट बस से उत्तरी कर्नाटक के इस प्राचीन इलाके में आये हुए हैं। यहां का बरसों पुराना प्रसिद्ध शिव म
पूरा पढ़ेनव्या को अपने मन की हर बात चिठ्ठियों में ही कहनी होती है... कि खुलकर अपनी बात कह सके या किसी बात के लिए मना कर सके उसमें
पूरा पढ़ेउसने ध्यान से सुना था मगर समझ नहीं पाया था कैसी आवाज़ है। पंछियों की जाने यहाँ कितनी प्रजातियाँ होंगी! पहली फुर्सत म
पूरा पढ़े‘महज साथ सोने से प्यार नहीं हो जाता कार्तिक!’ वह जिस निरपेक्ष तटस्थता से बोली उसने मुझे थोड़ा डरा दिया। मैं उसकी बर्
पूरा पढ़ेएक एक भर के हर दिया खामोश हो गया बिजली के बल्ब जल गये शहनाईयों के साथ मंटू भाई ने जब भरी महफिल में यह शेर सुनाया तो मा
पूरा पढ़ेबात-व्यवहार की गजब गहबर थीं विषुनपुरावाली भौजी। ऊपर से उनके होठों से कलोल करती झुलनी सोझे जुलुम ढ़ाती थी। खूब सुघर
पूरा पढ़ेसाइकिल पर सवार होकर डी.पी. जब सीधे चले जा रहे हों तब किनारे का गड्ढा शरारतन ठीक उनके बीचों-बीच आ जाता और उनकी चाल को भ
पूरा पढ़ेयह जो आड़ी तिरछी रेखायें कोरे कागज पर खींचती रहती हूँ मैं - क्या कोई पगडंडी, कोई राह निकलती है यहाँ से ? कितनी बड़ी और ऊ
पूरा पढ़ेपंडित गुनगुनाते हुये चले जा रहे हैं मेले की ओर|दसहरे के इस मेले का इंतजार पूरे गाँव को खासकर महिलाओं और बच्चों को पू
पूरा पढ़ेदो घुड़सवार घोड़े दौड़ाते चले आ रहे थे। वे एक-दूसरे को देखतेए घोड़े को एड़ लगाते और घोड़े हवा से बातें करने लगते। उनकी
पूरा पढ़ेयूनिवर्सिटी की यह इमारत गहरे गुलाबी बोगनवेलिया से यूं लदी पड़ी थी मानो दुल्हन अभी-अभी सेज से उठकर गुलाबी चुनरी में
पूरा पढ़ेकमरे की खिड़की खोली। अब उतना पास नहीं था। पर इतना फासला भी नहीं कि नजर से दूर। और इस दूरी से देखने की हसरत और बढ़ गयी थी
पूरा पढ़ेउस रात मिक्कू की आँखों से नींद गायब थी। होठों पर ऊँंगली रखे, छत की तरफ ताक रहा था। रह-रह कर वही घटना बार-बार याद आ रही थ
पूरा पढ़े“उस दिन, जब तुम मम्मी के साथ माॅल में थी और अचानक मुझे देखकर चैंक गई थी। वो फटी आंखें देखकर मैंने कहा था...“
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