अचानक कॉल बेल बज उठी तो प्रभाकर जी किंचित चौंक पड़े। आज रविवार था। सुबह के दस बजे थे। यह उनके लेऽन-पठन का समय होता है।
पूरा पढ़ेजमीन-जायदाद का बँटवारा सदा ही होता रहा है, कोई नयी बात नहीं। नयी बात यह है कि यहाँ एक बटे चार नहीं, एक बटे तीन हुआ। माँ
पूरा पढ़ेदादी नही रही यह खबर सुनते ही मै अपने पिहर जा पहुची. घर पर खासी भीड जमा थी. दादी की लाश के पास कई औरते बैठी थी. मै भी रोत
पूरा पढ़ेसूरज मध्य में था। किसके मध्य ये मत पूछियेगा ? फिलहाल तो, उस चमचमाती कलाकृति पर बरस रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसे अपनी
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