जब बाथरूम में झुककर, बाल्टी सरकाते वक्त ,उन्हें यानी सत्तर के हो रहे नाहटा को एकाएक कमर में ‘बैक –अटैक ‘ हुआ तो शरीर
पूरा पढ़ेतीस बरस बाद भी मुन्ना भाई उस लम्हे को याद कर ठंडी सांस लेते हैं। काश कि मां ने क़सम नहीं ली होती। काश, वे बाद में उन लड
पूरा पढ़ेऑंखें लग गयीं थीं। पहली नींद की खुमारी में जा चुका था मैं। अचानक धम्म्-ंउचयधम्म् की आवाज से नींद टूट गयी। ऐसा लगा जै
पूरा पढ़ेसमुद्र किनारे छोटा-सा कॉटेज। फेनिल तरंगों से परावर्तित होकर सूरज की सुनहली किरणें पूरे कॉटेज को नहा रही थीं। जब के
पूरा पढ़ेसुनने वाले भकुए से देख -सुन रहे थे उसे। उसकी आँखों की चमक में शरारत और संजीदगी एक साथ टिमटिमाती हुई। चेहरे के भावों
पूरा पढ़ेरीमा रच रही थी। बातों के गोल-गोल लच्छे।उनमें अटका हुआ एक अप्रत्याशित, अनजाना और कुछ नया रोमांच। तय जैसा कुछ नहीं, फि
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