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हांलाकि यह एक भरा-पूरा जनसमूह है किंतु यहां भी हर कोई अपने-अपने में अकेला हर किसी के हैं कई-कई फाड़
पूरा पढ़ेगुलमोहर के फूलों में आ रहे लेकिन न दिख रहे परिवर्तन को देखने के लिए ढूंढनी होगी तीसरी आंख जो मिलती है अनुभव के कछार
पूरा पढ़ेमैं कभी विशेष न रही किसी के लिए बस शेष ही स्वीकार्य हुई। हां शेष में हमेशा सराहा गया मुझको मेरे सिवा कभी कुछ न रह पा
पूरा पढ़ेकोई उसे धक्का मारकर टेढ़ा कर देने का श्रेय लेना चाहता था कोई जुड़ जाना चाहता था उछलकर सूरज और मीनार को जोड़ती काल्
पूरा पढ़ेआशंकाओं और दुविधाओं को झटकते हुए मैंने कहा, बैठो भाई!
पूरा पढ़ेएक उनींदी रात में नन्हीं बेटी के ठंडे पैर अपने हाथों में रखकर ऊष्म करता हूं
पूरा पढ़ेनाविक चलते रहो जैसे चलती है नदी नाविक बहते रहो
पूरा पढ़ेधीरे-धीरे कहीं कुछ खो रहें हैं हम पता नहीं हंस या रो रहें हैं हम क्या आपको कुछ एहसास हो रहा है कहीं कुछ हौले-हौले खो र
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