कोटा से शाम को रेलगाड़ी में बैठो तो सुबह जो आँख खुलेगी वो माया नगरी मुम्बई में खुलेगी
पूरा पढ़ेवें स्त्रियां कम न्यौली* ज्यादा लगतीं है , और न्यौली होती है जब उदास, जंगल के घुप्प अँधेरों में वें पहाड़ी स्त्रियों
पूरा पढ़ेहे ईश्वर! आज त्योहार है संचय के सुख-दुख से थोड़े पैसे निकाल कर आलू की सब्जी और पुरी खाई है
पूरा पढ़ेलोग डरे हुए हैं आजकल उन लोगों से भी, जिनके साथ बड़े हुए हैं जिनके साथ कई पीढ़ियों से खुशियाँ मनायी है, दुख बांटे हैं
पूरा पढ़ेतुम भी बदलो बन्धु! कब तक अड़े रहोगे ढहते-टूटते हुए अपने विचारों के टीले पर क्या कहा।
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