देवताओं के मुकुट सब गिर गए हैं आधे टूटे पड़े हैं- धूल में नहाए हुए, दुराग्रहों के प्रेत करते नंगा नाच चहुँ ओर कि हमारे
पूरा पढ़ेबांस की छाती पर सूई से टांके जाते हैं शब्द
पूरा पढ़ेरंग भी रोते हैं हांँ मैंने रंगों को रोते देखा है ...
पूरा पढ़ेनही कोलाहल नही शोर.गुलए रहा टहल गली में शार्दूल। हों गोरूए शुनक या नरए नभचरए नही देख इसे कोई व्याकुल!
पूरा पढ़ेअमलतास के गहरे सूर्ख पत्ते अब मुझे नहीं डराते। हुलस के झूमझूम के कहते हैं लहको ,लहक उठो। बिना तिल-तिल जले
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