मंझली काकी और सब कामों के तरह ही करतीं हैं, नहाने का काम और बैठ जातीं हैं, शीशे के सामने चीरने अपनी माँग..
पूरा पढ़ेऔर टीसता अंग अंग भीषण विभीषिका की ओर इंगित करता रहा अपनी तर्जनी पालतू भेड़िया दुम हिलाता सांत्वना देता रहा
पूरा पढ़ेआज सालों बाद गाँव जाना हुआ बाल सखी नलिनी से मुलाकात हुई आई थी वो अपनी माँ की अंतिम क्रिया में जार-जार रोते हुए मेरे
पूरा पढ़ेतू चाहता है जो मंज़िल की दीद साँकल खोल सदायें देने लगी है उमीद साँकल खोल
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