‘‘प्रश्न एक महेश असुर का नहीं है। उनका क्या जिनके खेत सस्ते में हड़प कर पुर्नवास के नाम पर उन्हें ऐसी बंजर जमीनें द
बहुत साल पहले इस जगह पर एक जंगल था। शहर के आसपास के इलाके में फैले हुए जंगली इलाके के बारे में जब कोई बातचीत चलती है,
राकेश कुमार सिंह
-अनुवाद: पापोरी गोस्वामी
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।