राम ने एकबार पिता का चेहरा देखा और दूसरी तरफ मुँह फेर लिया. उसका चेहरा गंभीर था. महानंद ये सोचकर थोडा चिंतित था कि ला
-अनुवाद: पापोरी गोस्वामी
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।