हमारी बात को नादां यूं अक्सर काट देता है। के जैसे खुद किनारों को समंदर काट देता है।।
मोल-भाव करके सौदा तय करता है धोखे में रख के बाजार भाव तय करता है
एस-यू- जफ़र
अजय कुमार पासवान
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।