हर रोज़ जमा करता हूँ सेविंग में तेरे गीत खाता है तेरा एकल , मेरा कुछ नहीं !
ज़माना छोड़कर पीछे हमें आगे निकलना था । जुनूँ आगे निकलने का ज़माने भर को ले डूबा ।।
सम्राट् सुधा
अश्विनी कुमार त्रिपाठी
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।