रिश्ते और बाजार
रिश्ते
और रिश्तों जैसे दिखने वाले रिश्ते
अब एकाकी हैं
एकतरपफ़ा हैं
बाजार के दस्तूर से
बाजारू से
व्यापार के धर्म से
व्यापारी से
कितना दिया
कितना मिला
कितना खोया
कितना पाया
रिश्ते
और रिश्तों के बीच के रिश्ते
रिश्ते नहीं
तराजू ....
