न जाने कितने समय बाद आज कुछ लिखने का मन हुआ है। यूं तो मैं आधी रात में जागकर कभी लिखता नहीं हूं क्योंकि लैंप की रोशनी में लिखने से मेरी आंखों पर जोर पड़ता है। और ट्यूबलाइट ऑन करके लिखने की कोशिश करता हूं तो जो लिखना चाहता हूं वह भी दिमाग से उड़ जाता है। इसलिए अक्सर दिन में ही घर के किसी कोने में बैठकर लिखता रहा हूं। पर आज बात कुछ विशेष है जिसे मैं चाह कर भी कल पर नहीं टाल सकता&zw....
