अपना न होना ही करता है मुक्त
प्रेम वह जो करता है मुक्त
और देता है यह सीख भी कि करे मुक्त सभी को
सिर्फ एक लोटा जल नहीं है कि लौटा दूं
उधार भी रखना नहीं कुछ कभी, कहीं भी
पाना ही खोना हुआ और हुआ खोना ही पाना
अपना होना न होना क्या,
कैसे, क्यों
सजावट में सजा रहा जैसे कि हो सजा
और पता नहीं अपराध था क्या,
पता नहीं
किंतु थ....
