हर्षित नैलवाल

हर्षित नैलवाल की कविताएं

(1)

बादल और जमीन के बीच 
सिर्फ नहीं थीं बूंदें 
था एक गहरा कोहरा
तेज हवा 
गरज की तैरती आवाज
बिजली की पल भर तीखी रोशनी
और 
सब मिलकर भ्रम बुन रहे थे
दोपहर को रात कह रहे थे
मानो नहीं था आसमान में 
कोई सूरज 
कोई चांद

जैसे चीख रहा हो आसमां
धरती के ऊपर 
अपनी गरज से 
शिकायतों से 
मगर धरती शिथ....

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