डाॅ. रसाल सिंह

उत्तर-पूर्व भारत का रामकाव्य और उसकी प्रासंगिकता

भारत की सुदीर्घ एवं समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा के निर्माण में रामकाव्य का विशिष्ट योगदान है, जिसकी आधारशिला आदिकवि वाल्मीकि ने ‘रामायण’ की रचना करके रखी थी। कहना न होगा कि आदिकवि वाल्मीकि से पूर्व भी राम कथा मिथकों व दंतकथाओं आदि के मौखिक रूप में प्रचलित थी। लिखित रूप में इस परम्परा की शुरुआत आदिकवि वाल्मीकि कृत ‘रामायण’ से ही मानी जाती है। आगे चलकर राम काव्य को ....

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