मेरे लेखन का एकमात्र लक्ष्य है- ‘आदमी की सीप में आत्मीयता का मोती सुरक्षित बचा लेना होता है क्योंकि समय बड़ी क्रूरता से मानवीय संवेदना को बंजर करता जा रहा है।’
सूर्यबाला लगभग पांच दशकों से सृजनरत वरिष्ठ कथाकार सूर्यबाला हिंदुस्तानी समाज व्यवस्था के अंदरुनी व बाहरी जीवन-जगत को खुली आँखों से देखते-परखते हुए तत्कालीन समय से जुड़े सवालों पर बेबाकी से लिखने मे....
