सूर्यबालाआठवें दशक की उस रचना पीढ़ी की लेखिका हैं जिन्होंने शुरुआती दौर में ही संबंधों में उभरते बियाबान को देखा और उसके भीतर अकेली छूटती हुई स्त्री के अबोले को लिखना तय किया। सारिका में वे पहली बार एक सर्वथा अनाम लेखिका की तरह छपीं। ‘जीजी’ थी उनकी पहली कहानी और संभवतः दूसरी कहानी थी ‘गौरा गुनवंती’। सूर्यबाला की कलम ने स्त्री के कलेजे में फंसे गहरे दुख का पीछ....
