समाज का दर्पण होने के नाते साहित्य और साहित्यकारों की जिम्मेदारी बनती है कि इतिहास की नजरों की पकड़ से छूट गए क्षणों को वह दर्ज करने का काम करें, उन्हें संरक्षित करें ताकि वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ी भी अपने अतीत को समझ अपने वर्तमान और भविष्य को जान सके। अतीत से केवल सीखा जा सकता है। वर्तमान को समझने के लिए अतीत की यात्र सहायक होती है। भारतीय साहित्य में ऐसी जिम्मेव....
