कंचन वर्मा

मेरे अलकों के लिए अमलतास

इस शांत खामोश कस्बे के कब्रिस्तान में हर साल मई के महीने में कुछ असाधारण घटित होता है। दूर तक फैले हुए इस पुराने कब्रिस्तान में मनुष्य के दंभ के जीते जागते प्रतिरूप-कुछ बेहद सजावटी और कुछ एकदम साधारण सी कब्रें देखी जा सकती हैं। इसी कब्रगाह के सुदूरतम
दक्षिणी सिरे पर, भारतीय प्रजाति की अमलतास की झाड़ियां अपनी खूबसूरत पीले फूलों से लदी, शानदार रूप में खड़ी थी। कुछ एक साल ....

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