कुंती बेचारी नहीं
कहानी में कुंती उस दिन मुखर हुई जिस दिन उसके पति रह चुके कुंदन के रजिस्टर्ड पत्र कस्बापुर पहुंचे। एक साथ। नई देहली के रेलवे स्टेशन की मोहर लिए। वहां पड़ी तारीख के पांचवें दिन।
एक पत्र उनकी मकान मालकिन, सुश्री स्वर्णा प्रसाद के नाम था जो अपनी बहन प्रमिला के साथ वहां के नत्थूलाल तिराहे पर बने प्रसाद भवन में सिस्टर....
