पल्लवी विनोद

पल्लवी विनोद की तीन कविताएं

गुजर जाने के बाद भी

लोग पूछते हैं प्रेम की याद आती है?
ऐसे बेवकूफाना सवालों का जवाब 
भला क्या ही हो
कैसे कहूं कि याद आने-जाने जैसा 
कुछ भी नहीं होता हमारे बीच
सिगरेट थोड़े ही है 
जो जले और धीरे-धीरे खत्म हो जाए

यहां एक धूनी है जो जलती ही रहती है
मन चंदन हो जाता है
मेरी अस्थियां भसम बन जाती हैं
तिलिस्म सा ये ....

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